शनिवार, 5 मई 2012

तीनों योगों का तुलनात्मक अध्ययन

|| तीनों योगों का तुलनात्मक अध्ययन ||
क्रम संख्या ज्ञानयोग | कर्मयोग | भक्तियोग |
[ १ ] आध्यात्मिक साधना | भौतिक साधना | आस्तिक साधना |
[ २ ] जानने की शक्ति | करने की शक्ति | मानने की शक्ति |
[ ३ ] विवेक की मुख्यता | क्रिया की मुख्यता | भाव [ श्रधा ] की मुख्यता |
[ ४ ] स्वरूप को जानना | सेवा करना | भगवान को मानना |
[ ५ ] स्वरूपपरायणता | कर्तव्यपरायणता | भगवतपरायणता |
[ ६ ] स्व - आश्रय | धर्म [ कर्तव्य ] का आश्रय | भगवद - आश्रय |
[ ७ ] अहंता का त्याग | कामना का त्याग | ममता का त्याग |
[ ८ ] अहंता को मिटाना | अहंता को शुद्ध करना | अहंता को बदलना |
[९ ] अपने लिए उपयोगी | संसार के लिए उपयोगी | भगवान के लिए उपयोगी |
[१० ] 'अक्षर ' की प्रधानता | ' क्षर ' की प्रधानता | ' पुरुषोत्तम ' की प्रधानता |
[११ ] ज्ञातज्ञातव्यता | कृतकृत्यता | प्राप्तप्राप्तव्यता |
[१२ ] अखंड रस | शांत रस | अनंत रस |
[१३ ] तात्विक संबंध | नित्य संबंध | आत्मीय संबंध |
[१४ ] परमात्मा से एकता | परमात्मा से समीपता | परमात्मा से अभिन्नता |
[१५ ] बोध की प्राप्ति | योग की प्राप्ति | प्रेम की प्राप्ति |
[ १६ ] स्वाधीनता | उदारता | आत्मीयता |
[१७ ] स्वरूप में स्थिति | जड का आकर्षण मिटता है | भगवान में आकर्षण होता है |
[१८ ] कर्तृत्व का त्याग | भोकत्र्तव का त्याग | ममत्व का त्याग |
[१९ ] आत्मसुख | संसार का सुख | भगवान का सुख |
[२० ] कुछ भी न करना | संसार के लिए करना |भगवान के लिए करना |
[२१ ] प्रकृति के अर्पण करना | संसार के अर्पण करना | भगवान के अर्पण करना |
[२२ ] विरक्ति | अनासक्ति | अनुरक्ति |
[२३ ] देहाभिमान बाधक है | कामना बाधक है | भगवद - विमुखता बाधक है |
[२४ ] कर्म भस्म हो जाते हैं | कर्म अकर्म हो जाते हैं | कर्म दिव्य हो जाते हैं |

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